मंगलवार, 1 मार्च 2011

कसक

जो कहना है क्यों दिल में रखते हो!
खुद पे रोते हो औरों पे हँसते हो!

बात करने की लोंगों से कहते हो!
पास जाकर क्यों सहमें से रहते हो!

आजकल से नही कब से डरते हो!
अपनी बातों से प्रायः मुकरते हो!!
जीत कर हार से क्यों झगड़ते हो!!!

जो कहना है क्यों दिल में रखते हो!
खुद पे रोते हो औरों पे हँसते हो!!

दांव लगने दो जैसे भी लगता है!!
उसको जलने दो जो तुमसे जलता हो!
होगा बेकार तुम क्यों समझते हो!

राग को रोग सा क्यों बनाते हो!!
साज़ को सेज सा क्यों सजाते हो!!!
हाँथ को रोकलो क्यों बिछाते हो!
कह दो,कहना है जो क्यों बरगलाते हो!!
जो भी कहना क्यों दिल में रखते हो!
खुद पे रोते हो औरों पे ……?
“यश फैज़”

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